माँ और बेटे की अनमोल कहानी (Mother and son story)

माँ और बेटे की अनमोल कहानी (Mother and son story)

माँ और बेटे की अनमोल कहानी (Mother and son story)

  माँ और बेटे की अनमोल कहानी


कहा जाता है कि माँ और बच्चे का रिश्ता संसार का सबसे पवित्र बंधन है। माँ केवल जन्म ही नहीं देती, बल्कि वह अपने बच्चे को संस्कार, शिक्षा, जीवन जीने का तरीका और कठिनाइयों से लड़ने की ताकत भी देती है। यह कहानी भी एक ऐसे ही माँ-बेटे के रिश्ते की है, जिसमें भावनाएँ, संघर्ष और त्याग सब कुछ समाया हुआ है।


पहला अध्याय – छोटी-सी दुनिया


उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में राधा नाम की एक औरत रहती थी। राधा का पति रामस्वरूप मजदूरी करता था और उसकी कमाई से घर का गुजारा किसी तरह चलता था। राधा का बेटा आदित्य (जिसे सब प्यार से "आदित" बुलाते थे) उनकी ज़िंदगी की रोशनी था।


आदित बहुत होशियार और जिज्ञासु बच्चा था। पाँच साल की उम्र से ही उसकी आँखों में पढ़ाई के प्रति गहरी चमक थी। वह हर चीज़ जानने के लिए सवाल करता –

“माँ, आसमान नीला क्यों होता है?”

“माँ, चाँद दिन में क्यों नहीं दिखता?”


राधा भले ही पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन वह हमेशा प्यार से जवाब देने की कोशिश करती। कभी कहती – "बेटा, ये सब तुम्हारे मास्टर जी बताएँगे, तुम ध्यान से पढ़ाई करना।"


 दूसरा अध्याय – संघर्ष की राह


गाँव का स्कूल बहुत छोटा था, वहाँ सिर्फ पाँचवी तक की पढ़ाई होती थी। लेकिन आदित की लगन देखकर मास्टर जी भी कहते –

“यह लड़का गाँव का नाम रोशन करेगा।”


पाँचवी के बाद पढ़ाई के लिए कस्बे के स्कूल जाना पड़ता था, जो गाँव से 10 किलोमीटर दूर था। रामस्वरूप की कमाई इतनी नहीं थी कि रोज़ बस का किराया दे सकें। राधा ने तय किया कि बेटा पैदल ही स्कूल जाएगा।


सुबह अंधेरे में उठकर वह आदित को तैयार करती, उसके लिए दो रोटियाँ और थोड़ा सा अचार बाँध देती और आशीर्वाद देकर कहती –

“बेटा, थकान महसूस मत करना। तुम्हारी पढ़ाई ही हमारी सबसे बड़ी दौलत है।”


आदित पैदल ही 10 किलोमीटर स्कूल जाता, पढ़ाई करता और शाम को लौट आता। थका हुआ चेहरा देखकर माँ का दिल पसीज जाता, लेकिन वह बेटे के चेहरे की मुस्कान देखकर सारी थकान भूल जाती।


 तीसरा अध्याय – पिता का साया उठना


किस्मत ने एक दिन ऐसा झटका दिया कि राधा और आदित की दुनिया ही बदल गई। रामस्वरूप शहर में काम करने गया था और वहीं एक हादसे में उसकी मौत हो गई।

सारी ज़िम्मेदारी अब राधा पर आ गई। घर में दो वक्त की रोटी जुटाना भी कठिन हो गया। लोग कहते –“राधा, बच्चे को पढ़ाकर क्या करेगी? इसे खेतों में काम करना सिखा, वही काम आएगा।”


लेकिन राधा ने सबकी बातों को अनसुना कर दिया। उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, बेटे की पढ़ाई नहीं रुकेगी। उसने दूसरों के घर बर्तन माँजने और खेतों में काम करना शुरू किया।


हर रात थकी-हारी जब घर लौटती, तो आदित उसके पैर दबाता और कहता –“माँ, तुम चिंता मत करो। एक दिन मैं तुम्हें बड़ी गाड़ी में बैठाकर शहर घुमाऊँगा।”


पढ़ाई की लगन


चौथा अध्याय – पढ़ाई की लगन


समय बीतता गया। आदित अब दसवीं कक्षा में था और पढ़ाई में हमेशा अव्वल आता था। स्कूल के टीचर भी कहते –“इस लड़के में आग है, इसे सही मार्गदर्शन मिला तो यह बड़ा आदमी बनेगा।”


लेकिन अब चुनौतियाँ और बढ़ने वाली थीं। दसवीं के बाद कस्बे में इंटर कॉलेज था, जिसकी फीस और किताबें काफी महंगी थीं।

राधा ने अपने गहने बेच दिए, जो उसकी माँ ने शादी में दिए थे। उसने आँसू रोकते हुए कहा –

“बेटा, ये सब तुम्हारी पढ़ाई के लिए है। गहनों से ज्यादा कीमती तुम्हारा भविष्य है।”


आदित की आँखों में आँसू आ गए। उसने किताबें हाथ में लेकर माँ से वादा किया –

“माँ, मैं तुम्हारी कुर्बानी कभी बेकार नहीं जाने दूँगा।”


 पाँचवाँ अध्याय – बड़े सपनों की ओर


बारहवीं के बाद आदित ने शहर के बड़े कॉलेज में दाखिला लिया। वह इंजीनियर बनना चाहता था। कॉलेज की फीस और खर्चे इतने ज्यादा थे कि राधा के लिए उन्हें जुटाना आसान नहीं था।


कभी वह गाँव की औरतों के कपड़े सिलती, कभी दूसरों के खेतों में काम करती। लेकिन उसने बेटे को कभी कमी महसूस नहीं होने दी।


आदित भी मेहनत करता। वह पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम ट्यूशन देने लगा। दिन-रात की मेहनत ने आखिरकार रंग दिखाया।


Also Read: रहस्यमयी हवेली का राज़ (Rahasmayi haveli)

                   किसान की संघर्षमयी और प्रेरणादायक कहानी


छठा अध्याय – सफलता की उड़ान


इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद आदित ने एक बड़ी कंपनी में नौकरी पा ली। उसके पहले ही महीने की सैलरी इतनी थी कि राधा की आँखों में खुशी के आँसू आ गए।


आदित ने कहा –

“माँ, अब तुम्हें काम करने की ज़रूरत नहीं। तुम्हारी मेहनत और त्याग की वजह से आज मैं यहाँ तक पहुँचा हूँ। अब तुम्हें आराम करना है।”


राधा ने बेटे को गले लगाकर कहा –

“बेटा, माँ का आराम तो तभी है जब बेटा खुश और सुरक्षित हो। आज मैं सबसे अमीर औरत हूँ क्योंकि मेरे पास तुम हो।”


सातवाँ अध्याय – माँ का सपना


आदित ने गाँव में एक बड़ा घर बनवाया। उसने माँ के लिए सोने का हार खरीदा, लेकिन राधा ने मुस्कराकर कहा –

“मुझे गहनों की नहीं, तुम्हारे साथ की ज़रूरत है। तुम जब मेरे पास होते हो, वही मेरे लिए सबसे बड़ी दौलत है।”


अब गाँव वाले भी कहते –

“देखो, राधा का बेटा गाँव का नाम रोशन कर रहा है। माँ के त्याग और बेटे की मेहनत ने मिसाल कायम की है।”


यह कहानी सिर्फ राधा और आदित की नहीं है, बल्कि हर उस माँ की कहानी है जो अपने बच्चे के लिए हर कठिनाई सह लेती है। माँ का त्याग और बेटे की मेहनत जब साथ आते हैं, तो कोई ताकत उन्हें हार नहीं दिला सकती।

माँ सचमुच भगवान का रूप है।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने