“सपनों की उड़ान – एक पढ़ाई करने वाले बच्चे की कहानी”

“सपनों की उड़ान – एक पढ़ाई करने वाले बच्चे की कहानी”

“सपनों की उड़ान – एक पढ़ाई करने वाले बच्चे की कहानी”


“सपनों की उड़ान – एक पढ़ाई करने वाले बच्चे की कहानी”


हर बच्चा सपनों की एक किताब लेकर जन्म लेता है। कुछ बच्चे हालातों के बोझ तले सपने छोड़
देते हैं, तो कुछ बच्चे अपनी मेहनत और जज़्बे से उन्हें सच कर दिखाते हैं। यह कहानी है अमन की, जो एक छोटे से कस्बे का साधारण लड़का था, लेकिन अपनी लगन और मेहनत से उसने दुनिया को दिखा दिया कि पढ़ाई से बड़ा कोई हथियार नहीं होता।


गरीबी में जन्मा सपना


अमन एक छोटे से कस्बे "भीलपुर" में रहता था। उसके पिता राजू एक चाय की दुकान चलाते थे और माँ घरों में झाड़ू-पोंछा करती थीं। परिवार बहुत गरीब था, लेकिन माँ-बाप का सपना था कि उनका बेटा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने।


अमन स्कूल में पढ़ाई में बहुत तेज़ था। गाँव के मास्टरजी हमेशा कहते –

“राजू भाई, आपका बेटा बहुत होशियार है, अगर इसे ठीक से पढ़ाया जाए तो यह ज़रूर कुछ बड़ा करेगा।”


लेकिन गरीबी की वजह से अक्सर अमन के पास किताबें और कॉपी खरीदने के पैसे नहीं होते। कई बार वह अपने दोस्तों से पुरानी किताबें लेकर पढ़ाई करता।


 संघर्ष की शुरुआत


कक्षा 6 में पहुँचते ही अमन के हालात और मुश्किल हो गए। पिता की कमाई घर चलाने के लिए भी मुश्किल से काफी होती। कई बार उसे स्कूल की फीस भरने के लिए पिता को उधार लेना पड़ता।


एक दिन पिता ने कहा –

“अमन, अब हमसे नहीं होगा बेटा। पढ़ाई छोड़कर दुकान पर हाथ बटा दो।”


यह सुनकर अमन रो पड़ा। उसने हाथ जोड़कर कहा –

“बाबा, बस एक मौका और दे दीजिए। मैं मेहनत करूँगा, स्कॉलरशिप लाऊँगा। मैं अपने दम पर पढ़ाई पूरी करूँगा।”


माँ ने बेटे का साथ दिया। उन्होंने राजू से कहा –

“हमारा बेटा पढ़ाई छोड़ देगा तो उसकी ज़िंदगी भी हमारी तरह ही संघर्षों में बीत जाएगी। इसे पढ़ने दो।”


रातों की मेहनत


अमन ने पढ़ाई को अपना धर्म मान लिया। वह दिन में स्कूल जाता और शाम को पिता की दुकान पर मदद करता। रात को टिमटिमाती लालटेन की रोशनी में देर रात तक पढ़ाई करता।


गाँव के बच्चे अक्सर खेलने जाते, लेकिन अमन अपनी किताबों में डूबा रहता। वह हमेशा कहता –

“आज मेहनत करूँगा, ताकि कल मेरा परिवार चैन की ज़िंदगी जी सके।”


 पहला इम्तिहान


कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा अमन की ज़िंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान थी। उसने जी-जान से पढ़ाई की। परीक्षा के दिनों में वह रोज़ 14–15 घंटे पढ़ता।


परिणाम आया तो पूरे गाँव में खुशी छा गई। अमन ने पूरे जिले में **पहला स्थान** प्राप्त किया। स्कूल के मास्टरजी ने पूरे गाँव में मिठाई बाँटी।


पिता की आँखों में आँसू थे। उन्होंने बेटे को गले लगाते हुए कहा –

“आज तूने हमारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है।”


 नया सफर


अब अमन का सपना था कि वह डॉक्टर बने। लेकिन मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई बहुत महँगी थी। उसने ठान लिया कि किसी भी तरह नीट (NEET) परीक्षा पास करेगा।


उसने सरकारी पुस्तकालय से किताबें लीं, इंटरनेट कैफ़े जाकर पुराने पेपर डाउनलोड किए और जी-जान से तैयारी की। पैसों की कमी के कारण वह कोचिंग नहीं कर सका, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।


 समाज का ताना


गाँव के कुछ लोग कहते –

“अरे, यह गरीब का बेटा डॉक्टर बनेगा? पहले अपने बाप की दुकान संभाल ले।”


लेकिन अमन मुस्कुराकर जवाब देता –

“मेरी मेहनत और लगन मेरे लिए सबूत बनेंगी।”


वह जानता था कि लोग हमेशा ताना मारते हैं, लेकिन जीतने वाला वही होता है जो तानों को ईंधन बना ले।


सफलता की सुबह


आखिरकार नीट परीक्षा का दिन आया। अमन ने आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी। जब परिणाम आया, तो पूरे गाँव में उत्सव सा माहौल था।


अमन ने ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में शानदार रैंक लाकर दिखा दिया कि मेहनत और ईमानदारी से सपना ज़रूर पूरा होता है। उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला।


माँ-बाप ने मंदिर जाकर धन्यवाद दिया और बेटे को आशीर्वाद दिया।


सपना सच हुआ


कई साल की कठिन पढ़ाई और मेहनत के बाद अमन आखिरकार डॉक्टर बन गया। अब वह अपने गाँव वापस लौटा और वहाँ अस्पताल बनवाया। उसने गरीब मरीजों का इलाज मुफ्त करना शुरू किया।


गाँव वाले गर्व से कहते –

“अमन अब सिर्फ हमारा बेटा नहीं, बल्कि पूरे गाँव की शान है।”



यह कहानी हमें सिखाती है कि गरीबी या हालात कभी भी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकते। अगर इंसान ठान ले और मेहनत करे, तो आसमान भी झुक जाता है।


अमन जैसा बच्चा हमें यह प्रेरणा देता है कि पढ़ाई ही वह चाबी है, जिससे सफलता के दरवाज़े खुलते हैं।


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